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क्षमायाचना (तौबा) के प्रावधान
तौबा-ए-नसूह (सच्ची तौबा) की शर्तें
सच्ची तौबा की शर्तें ये हैं : 1- गुनाह को तुरंत छोड़ देना। 2- गुज़रे हुए गुनाह पर दिल से पछताना। 3- दुबारा उस गुनाह की तरफ न लौटने का संकल्प पक्का इरादा करना। यदि तौबा का संबंध धन, सम्मान या जीवन के संदर्भ में किसी के साथ अन्याय करने से है किसी और इंसान के हक (धन, इज़्ज़त, या जान) से संबंधित है, तो एक और शर्त ज़रूरी है 4- जिसका हक मारा गया हो, उससे माफ़ी माँगना या उसका हक़ वापस करना।सहेजेंवह कुछ लोगों की ओर से दान करना चाहता है क्योंकि वह उनके प्रति अपनी ज़िम्मेदारी को अच्छी तरह न निभाने के कारण अपने आपको दोषी महसूस कर रहा है
सहेजेंफ़ज़ायले-आमाल (कर्मो के गुण) लोगों के अधिकारों का कफ्फारा (परायश्चित) नहीं बन सकते
सहेजेंवह कुछ कर्मचारियों को वृद्धि या पदोन्नति से वंचित कर दिया करता था, तो अब वह पश्चाताप कैसे करेॽ
सहेजेंक्या तौबा करने वाला लज्जित व्यक्ति निश्चित रूप से यह कह सकता है कि उसकी तौबा सवीकार हो गई
सहेजेंक्या वह अपने सज्दे के दौरान ज़ईफ़ हदीस से दुआ कर सकता है..ॽ
सहेजेंजिसने कोई पाप किया फिर विशुद्ध तौबा कर ली, वह तौबा के बाद पाप करने के पहले से बेहतर स्थिति में होगा
सहेजेंवह बैंक को पैसे लौटाने पर पूछताछ किए जाने और जेल में बंद किए जाने से डरता है तो क्या वह उसे दान कर दे
सहेजें