इस्लामी अक़ीदा एक गंभीर व्यावहारिक पद्धति है, और अक़ीदा पर महत्वपूर्ण पुस्तकें
इस्लामी अक़ीदा कोई सैद्धांतिक और दार्शनिक पद्धति नहीं है; बल्कि यह एक गंभीर व्यावहारिक पद्धति है। अतः अमल (कर्म) इस अक़ीदा का एक मूल तत्व है। इसलिए अहले सुन्नत इस बात पर एकमत हैं कि ईमान "कौल और अमल" (कथनी और करनी) का नाम है — यानी जुबान से कहना, दिल से मानना और अंगों से उसपर अमल करना। सही अक़ीदा सीखने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि इसे उसके जानकार और उस पर अमल करने वालों से सीधा सीखा जाए। जो लोग ऐसा करने में सक्षम हैं, उनके लिए यह सबसे सुरक्षित और सबसे लाभदायक तरीक़ा है। और जिनके पास यह सुविधा नहीं है, वे भरोसेमंद किताबों और विद्वानों के व्याख्यानों से सीख सकते हैं। अक़ीदा पर उपयोगी पुस्तकों के लिए विस्तृत उत्तर देखें।