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इस्लामी अक़ीदा एक गंभीर व्यावहारिक पद्धति है, और अक़ीदा पर महत्वपूर्ण पुस्तकें
इस्लामी अक़ीदा कोई सैद्धांतिक और दार्शनिक पद्धति नहीं है; बल्कि यह एक गंभीर व्यावहारिक पद्धति है। अतः अमल (कर्म) इस अक़ीदा का एक मूल तत्व है। इसलिए अहले सुन्नत इस बात पर एकमत हैं कि ईमान "कौल और अमल" (कथनी और करनी) का नाम है — यानी जुबान से कहना, दिल से मानना और अंगों से उसपर अमल करना। सही अक़ीदा सीखने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि इसे उसके जानकार और उस पर अमल करने वालों से सीधा सीखा जाए। जो लोग ऐसा करने में सक्षम हैं, उनके लिए यह सबसे सुरक्षित और सबसे लाभदायक तरीक़ा है। और जिनके पास यह सुविधा नहीं है, वे भरोसेमंद किताबों और विद्वानों के व्याख्यानों से सीख सकते हैं। अक़ीदा पर उपयोगी पुस्तकों के लिए विस्तृत उत्तर देखें।सहेजेंवह हमेशा इस्तिग़फ़ार करता है, लेकिन उसके संतान नहीं हुई और न ही बारिश होती है।
सहेजेंला-इलाहा इल्लल्लाह की शर्तें
सहेजेंक्या उस बच्चे की ओर से अक़ीक़ा किया जायेगा जो पैदा होने के तुरंत पश्चात मर गया
सहेजेंसलातुस्साबीह के बारे में कोई भी हदीस सहीह नहीं है
सहेजेंनियोक्ता (कार्यदाता) ने एक कर्मचारी के साथ अन्याय किया और उसे उसके वित्तीय अधिकार नहीं दिए, तो क्या लेखाकार के लिए नियोक्ता की अज्ञानता में ज़ुल्म को समाप्त करने के लिए उस कर्मचारी के हक़ को लौटाना जायज़ है?
सहेजेंक्या पति पर अपनी पत्नी को खुश रखना ज़रूरी है
सहेजेंजानबूझ कर बिना वुज़ू के नमाज़ पढ़ना कबीरा गुनाह है, कुफ्र नहीं है
सहेजेंयदि उसकी नमाज़ खराब हो जाए या वह उसे काट दे तो क्या वह सलाम फेरेगा ?
सहेजेंउसने बिना वैध कारण के धन लिए है तो वह कैसे तौबा करे ?
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