शुक्रवार 19 रमज़ान 1445 - 29 मार्च 2024
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ईसा मसीह अलैहिस्सलाम के बारे में मुसलमानों का आस्था

प्रश्न

मरियम के बेटे ईसा मसीह अलैहिस्सलाम के बारे में मुसलमानों का क्या आस्था है?

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

मरियम के बेटे ईसा मसीह अलैहिस्सलाम के बारे में हमारा विश्वास और आस्था वही है जो अल्लाह की किताब और हमारे पैग़म्बर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की सुन्नत से पता चलता है।

चुनाँचि हम विश्वास रखते हैं कि ईसा अलैहिस्सलाम अल्लाह के बन्दों में से एक बन्दा, और उसके भेजे हुये पैग़ंबरों में से एक पैग़ंबर हैं, जिन्हें अल्लाह तआला ने बनी इस्राईल की ओर भेजा था कि आप उन्हें अल्लाह तआला की तौहीद और उसकी इबादत की ओर बुलायें।

अल्लाह तआला का फरमान है : "और (याद करो उस समय को) जब मरियम के पुत्र ईसा अलैहिस्सलाम ने कहा, हे (मेरे समुदाय) इस्राईल की औलाद! मैं तुम्हारी ओर अल्लाह का पैग़म्बर हूँ, अपने से पूर्व ग्रन्थ तौरात की पुष्टि करने वाला हूँ और एक पैग़म्बर की शुभ सूचना देने वाला हूँ जो मेरे पश्चात आए गा जिसका नाम अहमद है। फिर जब वह उनके पास स्पष्ट प्रमाण लाए तो यह कहने लगे कि यह तो खुला जादू है।" (सूरतुस्सफ: 6)

तथा अल्लाह तआला ने फरमाया :"और मसीह ने कहा कि ऐ इस्राईल के बेटो! मेरे रब और अपने रब अल्लाह की इबादत करो, क्योंकि जो शिर्क करेगा अल्लाह ने उस पर जन्नत हराम कर दी है और उसका ठिकाना जहन्नम है और ज़ालिमों का कोई मददगार न होगा।" (सूरतुल माईदा : 72)

अत: ईसा अलैहिस्सलाम पूज्य नहीं हैं, और न ही अल्लाह के बेटे हैं जैसाकि ईसाईयों का यह भ्रम है।

अल्लाह अज़्ज़ा व जल्ल का फरमान है : "वो लोग काफिर हो गये जिन्हों ने कहा कि मरियम का बेटा मसीह ही अल्लाह है।" (सूरतुल माईदा :72)

तथा अल्लाह जल्ला शानुहु ने फरमाया : "यहूद तो कहते हैं कि उज़ैऱ अल्लाह के बेटे हैं और ईसाई कहते हैं कि मसीह (ईसा) अल्लाह के बेटे हैं, ये तो उनके अपने मुँह की बातें हैं जिनके द्वारा ये लोग भी उन्हीं काफि़रों की बातों की मुशाबहत कर रहे हैं जो इनसे पहले गुज़र चुके हैं, अल्लाह इन्हें क़त्ल (तहस नहस) करे ये कहाँ से कहाँ भटके जा रहे हैं।" (सूरतुत्तौबा : 30)

जब अल्लाह तआला ने ईसा अलैहिस्सलाम को माँ के गोद ही में बोलने की शक्ति प्रदान की, तो उन्हों ने सर्वप्रथम बात यही कही :"(बच्चा) बोल उठा कि मैं अल्लाह तआला का बन्दा हूँ, उस ने मुझे किताब प्रदान किया है और मुझे अपना दूत (पैग़म्बर) बनाया है।" (सूरत मरियम : 30)

तथा हम इस बात पर विश्वास रखते हैं कि अल्लाह तआला ने उनका ऐसी निशानियों (चमत्कारों) के द्वारा समर्थन किया जो उनकी सच्चाई का पता देती हैं।

तथा अल्लाह तआला ने फरमाया : "(और याद करो उस समय को) जब अल्लाह कहेगा कि हे मरियम के बेटे ईसा ! अपने और अपनी माँ के ऊपर मेरी नेमत को याद करो जब मैं ने पवित्र आत्मा (जिब्रील) के द्वारा तुम्हारी मदद की, तुम पालने में और अधेड़ उम्र में लोगों से बात करते रहे और जब हम ने तुम्हें किताब और हिक्मत और तौरात और इंजील का ज्ञान दिया, और जब तुम मेरे हुक्म से मिट्टी से चिड़िया की मूरत बनाते थे और उस में फूँकते थे तो वह मेरे हुक्म से (सचमुच) चिड़िया बन जाती थी और मेरे हुक्म से पैदाईशी अन्धे और कोढ़ी को अच्छा कर देते थे और जब तुम मेरे हुक्म से मुर्दों को (ज़िन्दा करके क़ब्रों से) निकाल खड़ा करते थे और जब मैं ने बनी इस्राईल को तुम से रोका जिस समय तुम उन के पास मोजिज़े लेकर आए तो उनमें से काफिर लोग कहने लगे यह तो बस खुला हुआ जादू है।" (सूरतुल माईदा : 110)

तथा हम यह विश्वास रखते हैं कि ईसा अलैहिस्सलाम कुँवारी मरियम से बिना बाप के पैदा हुये, और यह अल्लाह की शक्ति से असंभव नहीं है जिसकी महिमा यह है कि जब वह किसी चीज़ का इरादा करता है तो मात्र उस से यह कहता है कि "हो जा", बस वह तुरन्त हो जाती है।

अल्लाह तआला का फरमान है : "अल्लाह तआला के पास ईसा की मिसाल आदम की तरह है, जिसे मिट्टी से पैदा करके कह दिया कि हो जा, बस वह हो गया।" (सूरत आले इम्रान : 59)

तथा अल्लाह तआला का फरमान है :"(और उस समय को याद करो) जब फरिश्तों ने कहा, हे मरियम! अल्लाह तआला तुझे अपने एक कलिमा की शुभसूचना देता है जिस का नाम मसीह ईसा बिन मरियम है, जो दुनिया और आखिरत में सम्मानित है और वह मेरे निकटवर्तियों में से है। वह लोगों से पालने में बात करे गा और अधेड़ उम्र में भी, और वह नेकों में से होगा। कहने लगी, मेरे रब ! मुझे लड़का कैसा होगा? हालांकि मुझे किसी मर्द ने छुआ भी नहीं है। फरिश्ते ने कहा, इसी तरह अल्लाह जो चाहे पैदा करता है, जब कभी वह किसी काम को करना चाहता है तो मात्र कह देतो है कि "हो जा" तो वह हो जाता है।" (सूरत आल इम्रान :45-47)

तथा हम इस बात पर विश्वास रखते हैं कि ईसा अलैहिस्सलाम ने यहूदियों के लिए कुछ चीज़ें हलाल ठहरा दीं जो उन पर पहले हराम थीं।

अल्लाह तआला ने ईसा अलैहिस्सलाम के बारे में फरमाया कि उन्हों ने बनी इस्राईल से कहा :"और मैं तौरात की पुष्टि करने वाला हूँ जो मेरे सामने है, और मैं इसलिये आया हूँ कि तुम पर कुछ उन चीज़ों को हलाल करूँ जो तुम पर हराम कर दी गयी हैं, और मैं तुम्हारे पास तुम्हारे रब की निशानियाँ लाया हूँ, इसलिये तुम अल्लाह से डरो और मेरी ही पैरवी करो।" (सूरत आल इम्रान :50)

तथा हम यह विश्वास रखते हैं कि उनकी मृत्यु नहीं हुई है और न ही उन्हें उनके दुश्मन यहूदियों ने क़त्ल किया है, बल्कि अल्लाह तआला ने उन्हें उन से छुटकारा दिलाया, और उन्हें जीवित आसमान पर उठा लिया।

अल्लाह अज़्ज़ा व जल्ल का फरमान है :"और उन के कुफ्र के कारण और मरियम पर बुहतान (आरोप) लगाने की वजह से। और उन के यह कहने के कारण कि हम ने मरियम के बेटे मसीह को क़त्ल कर दिया, हालांकि न तो उन्हों ने क़त्ल किया न उन्हें फाँसी दी, लेकिन उन के लिये शबीह (समरूप) बना दिया गया। यक़ीन करो कि ईसा के बारे में मतभेद करने वाले उनके बारे में शक में हैं, उन्हें इसका कोई ज्ञान नहीं सिवाय गुमान (भ्रम) वाली बातों पर अमल करने के, इतना सुनिश्चित है कि उन्हों उनका क़त्ल नहीं किया। बल्कि अल्लाह ने उन्हें अपनी ओर उठा लिया और अल्लाह ज़बरदस्त हिक्मत वाला है।" (सूरतुन्निसा : 154-158)

तथा हम इस बात पर विश्वास रखते हैं कि ईसा मसीह ने अपने मानने वालों को हमारे पैग़म्बर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के आगमन की शुभसूचना दी।

अल्लाह तआला का फरमान है : "और (याद करो उस समय को) जब मरियम के पुत्र ईसा अलैहिस्सलाम ने कहा, हे (मेरे समुदाय) इस्राईल की औलाद! मैं तुम्हारी ओर अल्लाह का पैग़म्बर हूँ, अपने से पूर्व ग्रन्थ तौरात की पुष्टि करने वाला हूँ और एक पैग़म्बर की शुभ सूचना देने वाला हूँ जो मेरे पश्चात आए गा जिसका नाम अहमद है। फिर जब वह उनके पास स्पष्ट प्रमाण लाए तो यह कहने लगे कि यह तो खुला जादू है।" (सूरतुस्सफ: 6)

तथा हम यह भी विश्वास रखते हैं कि वह अंतिम काल में उतरेंगे, तो अपने दुश्मन यहूदियों के इस भ्रमित दावे को झुठला देंगे कि उन्हों ने उन्हें क़त्ल कर दिया, तथा ईसाईयों के इस दावे का भी खण्डन करेंगे कि वह स्वयं अल्लाह या अल्लाह के बेटे हैं, और उन से केवल इस्लाम ही को स्वीकार करेंगे।

इमाम बुखारी (हदीस संख्या:2222) और मुस्लिम (हदीस यंख्या:155) ने अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत किया है कि अल्लाह के पैग़ंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया :"उस हस्ती की क़सम जिस के हाथ में मेरी जान है! निश्चित रूप से क़रीब है कि ईसा बिन मरियम तुम्हारे बीच एक इंसाफवर (न्यायाधीश) शासक बनकर उतरें, (और एक हदीस के शब्द यह हैं कि क़ियामत नहीं आयेगी यहाँ तक कि तुम्हारे बीच इब्ने मरियम एक इंसाफवर (न्यायाधीश) शासक बनकर उतरें), फिर वह सलीब को तोड़ देंगे, सुअर को मार डालेंगे, जिज़्या (टैक्स) को समाप्त कर देंगे, तथा धन की बहुतायत हो जायेगी यहाँ तक कि कोई उसे स्वीकार नहीं करेगा।"

हदीस के शब्द : (क़रीब है) का अर्थ यह है कि ऐसा शीघ्र ही अवश्य होगा।

(तुम्हारे बीच) से अभिप्राय यह उम्मत है।

(इंसाफवर हाकिम) का अर्थ न्याय करने वाला शासक है, इस से अभिप्राय यह है कि वह इस शरीअत के अनुसार फैसला करने वाला बन कर उतरेंगे, क्योंकि यह शरीअत निरंतर बाक़ी रहेगी निरस्त नहीं की जायेगी, बल्कि ईसा अलैहिस्सलाम इस उम्मत के शासकों में से शासक होंगे।

(सलीब को तोड़ डालेंगे, और सुअर को क़त्ल करेंगे) का मतलब यह है कि वास्तव में सलीब को तोड़ कर ईसाईयों के धर्म को असत्य ठहरायेंगे, और ईसाई लोग जो उस का झूठा सम्मान करते हैं, उस को खंडित करेंगे।

(जिज़्या को समाप्त कर देंगे ) इसके बार में

इमाम नववी कहते हैं:

इसका शुद्ध अर्थ यह है कि : वह इसे स्वीकार नहीं करेंगे, और काफिरों से केवल इस्लाम क़बूल करना ही स्वीकार करेंगे, और उन में से जो जिज़्या देना चाहेगा तो उसके कारण उस से हाथ नही रोकेंगे, बल्कि केवल इस्लाम या क़त्ल ही स्वीकार करेंगे। इमाम अबू सुलैमान अल-खत्ताबी और अन्य विद्वानों रहिमहुमुल्लाह ने इसी प्रकार कहा है। (नववी की बात समाप्त हुई।)

(धन की बहुतायत हो जायेगी) अर्थात् धन की रेलपेल हो जायेगी, और उसके बहुतायत का कारण न्याय की वजह से और अत्याचार न होने से बरकतों का उतरना, और भलाईयों और अच्छाईयों का प्रसार होगा, उस वक़्त धरती अपने खज़ानों को निकाल देगी, और लोगों के अन्दर माल को जमा करने की इच्छा कम जायेगी क्योंकि उन्हें क़ियामत के क़रीब होने का ज्ञान होगा।

फिर इसके बाद ईसा अलैहिस्सलाम की मृत्यु हो जायेगी, और मुसलमान उन पर जनाज़ा की नमाज़ पढ़ेंगे और उन्हें दफन कर देंगे।

इमाम अहमद (हदीस संख्या :9349) ने अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत किया है कि उन्हों ने नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से रिवायत किया है कि आप ने फरमाया: "मैं लोगों में ईसा बिन मरियम का सब से अधिक योग्य हूँ, क्योंकि मेरे और उनके बीच कोई ईश्दूत नहीं है ... फिर आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अंतिम समय काल में उनके दुनिया में उतरने का उल्लेख किया है। फिर फरमाया: अल्लाह तआला जितना चाहे गा वह (इस दुनिया में) ठहरेंगे, फिर अल्लाह तअलाला उन्हें मृत्यु दे देगा, चुनाँचि मुसलमान उन पर जनाज़ा की नमाज़ पढ़ेंगे और उन्हें दफन कर देंगे।" (अल्बानी ने अस्सिलसिला अस्सहीहा (2182) में इस सहीह कहा है )।

तथा हम इस बात पर भी विश्वास रखते हैं कि ईसा अलैहिस्सलाम क़ियामत के दिन उन लोगों से अपनी बराअत (अलगाव) ज़ाहिर करेंगे जिन्हों ने उनके बारे में पूज्य (भगवान) होने का भ्रक रखा।

अल्लाह तआला फरमाता है :"(और वह वक़्त भी याद करो) जबकि अल्लाह कहेगा कि हे ईसा इब्ने मरियम, क्या तुम ने उन लोगों से कह दिया था कि मुझ को और मेरी माँ को अल्लाह के सिवाय माबूद बना लेना? (ईसा) कहेंगे कि मैं तो तुझे पवित्र समझता हूँ, मुझ को किस तरह से शोभा देती है कि मैं ऐसी बात कहता जिस के कहने का मुझे कोई अधिकार नहीं, अगर मैं ने कहा होगा तो तुझ को उस का ज्ञान होगा, तू तो मेरे दिल की बात जानता है, मैं तेरे जी में जो कुछ है उस को नहीं जानता, सिर्फ तू ही ग़ैबों (परोक्ष बातों) का जानने वाला है। मैं ने उन से केवल वही कहा जिसका तू ने मुझे हुक्म दिया कि अपने रब और मेरे रब अल्लाह की इबादत करो, और जब तक मैं उन में रहा उन पर गवाह रहा और जब तू ने मुझे उठा लिया तो तू ही उनका संरक्षक (निगराँ) था और तू हर चीज़ पर गवाह है।" (सूरतुल माईदा : 116-117)

तो यह है मरियम के बेटे ईसा मसीह के बारे में मुसलमानों का आस्था और विश्वास।

इमाम बुखारी (हदीस संख्या :3435) और इमाम मुस्लिम (हदीस संख्या :28) ने उबादा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत किया है कि उन्हों ने नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से रिवायत किया है कि आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : "जिस ने इस बात की गवाही दी कि अल्लाह के अलावा कोई पूज्य नहीं वह अकेला है उसका कोई साझीदार नहीं, और यह कि मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) उसके बन्दा और रसूल हैं, और यह कि ईसा अल्लाह के बन्दा, उसके रसूल और उसके कलिमा हैं जिसे उस ने मरियम की ओर डाला था और उसके रूह हैं, और यह कि स्वर्ग सत्य है और नरक सत्य है तो अल्लाह तआला उसे, स्वर्ग के आठों फाटकों में से जिस से भी चाहे, स्वर्ग में दाखिल कर देगा।"

अल्लाह तआला से दुआ है कि हमें ईमान पर सुदृढ़ रखे और उसी पर हमें मृत्यु दे।

और हमारे पैग़म्बर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर अल्लाह तआला की दया और शान्ति अवतरित हो।

इस्लाम प्रश्न और उत्तर

स्रोत: साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर