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शिक्षा

रोज़ों का क़ज़ा
रोज़ों की क़ज़ा को विलंब करने का कफ़्फ़ारा रिश्तेदारों को भुगतान करने का हुक्म
सुरक्षित करेंरमज़ान के छूटे हुए रोज़ों की क़ज़ा करने की नीयत से शक के दिन रोज़ा रखना
सुरक्षित करेंवह रात ही से रोज़े की नीयत किए बिना रमज़ान की क़ज़ा के रोज़े रखती थी, वह सुबह के समय रोज़े की नीयत करती थी, तो अब उसे क्या करना चाहिएॽ
सामान्य इमामों के निकाट, दिन में नीयत करके आपकी दोस्त का रमज़ान की क़ज़ा के रोज़े रखना मान्य नहीं है। अतः उसके लिए उन दिनों के रोज़ों को दोहराना ज़रूरी है, और उसपर कोई कफ़्फ़ारा अनिवार्य नहीं है। यह रखे हुए रोज़ों को दोहराने का हुक्म; अंतिम वर्ष की क़ज़ा के बारे में है, जिसका समय अभी बाक़ी है। जहाँ तक पिछले बीते हुए वर्षों की क़ज़ा का संबंध है, तो कुछ विद्वानों, जैसे कि शैखुल-इस्लाम इब्ने तैमिय्यह रहिमहुल्लाह, ने यह दृष्टिकोण अपनाया है कि जिस व्यक्ति ने कोई इबादत ग़लत ढंग से की और वह अज्ञानी था, और उसका समय निकल गया : तो उसके लिए उसे दोहराना अनिवार्य नहीं है। यदि आपकी दोस्त इस विचार को अपनाती है तो हम आशा करते हैं कि उसपर कोई पाप नहीं है।सुरक्षित करेंउस आदमी का हुक्म जो रमज़ान की क़ज़ा भूल गया और दूसरा रमज़ान आ गया
सुरक्षित करेंजो व्यक्ति बिना किसी उज़्र के रमज़ान का रोज़ा न रखे अथवा बीच रमज़ान में जानबूझ कर रोज़ा तोड़ दे तो क्या उस पर क़ज़ा करना अनिवार्य है?
सुरक्षित करेंयदि शेष दिन पर्याप्त नहीं हैं तो क्या वह क़ज़ा करने से पहले शव्वाल के छ: रोज़े से शुरूआत करेगा ?
सुरक्षित करेंशव्वाल के छ: रोज़ों के साथ रमज़ान की क़ज़ा को एक ही नीयत में एकत्रित करना शुद्ध नहीं है
सुरक्षित करेंशव्वाल के महीने के दूसरे दिन रोज़ा रखना जायज़ है।
सुरक्षित करेंरोज़े के फ़िद्या में खाना खिलाने के बदले पैसा निकालना जायज़ नहीं है
सुरक्षित करेंजिस व्यक्ति पर रमज़ान के रोज़े हों, जिनकी संख्या उसे याद न हो
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