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क्या दुकान के उपकरणों और खोए हुए माल पर व्यापारिक वस्तुओं की ज़कात अनिवार्य है?

प्रश्न: 50726

मेरी एक दुकान है जिसमें 80,000 रियाल के उपकरण हैं और दुकान का कुछ लोगों पर 80,000 रियाल का कर्ज़ है। छह महीने पहले दुकान में आग लग गई थी और दुकान का नवीनीकरण और मरम्मत का काम कुल मिलाकर 40,000 रियाल में हुआ था, जिसमें से 35,000 रियाल दुकान के नाम पर उधार लिए गए थे, जिन्हें मासिक किस्तों में चुकाना है।

पहला प्रश्न : क्या हमें आग लगने से पहले दुकान में मौजूद उपकरणों पर ज़कात देनी चाहिए? (पूरी लागत + कर्ज़) - (नवीनीकरण)।

दूसरा प्रश्न : अभी नवीनीकरण को पूरा एक साल भी नहीं हुआ है। क्या हमें उस पर ज़कात देनी चाहिए, या पूरी दुकान पर, जिसमें कर्ज़ भी शामिल है?

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा एवं गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है, तथा दुरूद व सलाम की वर्षा हो अल्लाह के रसूल पर। इसके बाद :

दुकानों में पाई जाने वाली वस्तुओं को दो श्रेणियों में विभाजित किया जाता है :

पहली श्रेणी : वे वस्तुएँ जो व्यापार के लिए तैयार की जाती हैं, चाहे वे अचल संपत्ति हों, खाने-पीने की चीज़ें हों, कपड़े हों या अन्य प्रकार की बेची जाने वाली वस्तुएँ हों।

दूसरी श्रेणी : वे वस्तुएँ जो व्यापार के लिए तैयार नहीं की जाती हैं, बल्कि उत्पादन या उपयोग के लिए होती हैं, जैसे कि कारखाने की मशीनरी, कार, फ़र्नीचर, फ़ोटोग्राफ़ी उपकरण, कंप्यूटर, आदि।

पहली श्रेणी को "व्यापारिक वस्तुएँ" कहा जाता है, और इन्हीं पर ज़कात अनिवार्य होती है। जबकि दूसरी श्रेणी को "व्यक्तिगत उपयोग या स्थायी संपत्ति" कहा जाता है, तथा उन्हें "अचल संपत्ति" भी कहा जाता है और इन पर ज़कात देय नहीं होती।

प्रश्न संख्या : (42072) के उत्तर में व्यापारिक वस्तुओं पर ज़कात की अनिवार्यता और उनकी न्यूनतम सीमा (निसाब) के बारे में बताया जा चुका है। तथा यह भी बयान किया गया है कि स्थिर सामग्रियाँ जो बिक्री के लिए तौयार नहीं की जाती हैं उनपर ज़कात देय नहीं है।

तथा प्रश्न संख्या : (22449) के उत्तर में यह बताया गया है कि व्यापारिक वस्तुओं पर ज़कात को सामान के रूप में देना जायज़ है और इसे नकद ही के रूप में देना अनिवार्य नहीं है।

व्यापारिक वस्तुओं पर ज़कात की गणना कैसे की जाती है, इसकी जानकारी के लिए प्रश्न संख्या : (26236) का उत्तर देखें, जिसमें बताया गया है कि ज़कात बिक्री मूल्य पर देनी होती है, क्रय मूल्य पर नहीं।

निष्कर्ष यह कि :

जब आपकी दुकान पर ज़कात देने का समय आ जाए, तो आपको दुकान में मौजूद चीज़ों - जैसे कि आपके पास मौजूद सामान - का जायजा लेना चाहिए और उन्हें अपने पास मौजूद नकदी में शामिल करना चाहिए, और उस कुल राशि में उन कर्ज़ों को जोड़ना चाहिए जिनके चुकाए जाने की आपको उम्मीद है, फिर कुल राशि पर चालीसवें हिस्से (2.5%) की दर से ज़कात अदा करें।

ऐसे क़र्ज़ जिनकी अदायगी की उम्मीद नहीं है क्योंकि वे किसी ऐसे व्यक्ति पर हैं जो भुगतान में देरी करने वाला है या जो गरीब है, तो उन पर तब तक ज़कात नहीं है जब तक आप उन्हें प्राप्त नहीं कर लेते और प्राप्ति की तारीख से एक नए वर्ष की गणना नहीं कर लेते। लेकिन सावधानी का पहलू यह है कि जब आप उन्हें प्राप्त करें, तो केवल एक वर्ष की ज़कात अदा करें, भले ही कई वर्ष बीत गए हों।

जहाँ तक उन क़र्जों का संबंध है जो आपके ऊपर हैं, तो विद्वानों के सहीह मत के अनुसार, उन्हें उन संपत्तियों से नहीं घटाया जाएगा जिनपर आपको ज़कात देनी है।

जो सामान आग में जल गए हैं उन्हें दुकान में मौजूद कुल सामान में नहीं जोड़ा जाएगा।

आग लगने के बाद आपने स्टोर में जो नवीनीकरण किया है : यदि वे फर्नीचर, सजावट और स्थिर उपकरणों से संबंधित हैं, तो पहले बताया जा चुका है कि इनमें ज़कात अनिवार्य नहीं है, इसलिए इन्हें स्टोर की ज़कात योग्य संपत्तियों में नहीं गिना जाएगा। लेकिन यदि वे बिक्री के सामान हैं, तो अगर आपने उन्हें दुकान के धन और उसके मुनाफे से खरीदा है, तो दुकान के सामान की ज़कात देते समय उन पर भी ज़कात देनी चाहिए, भले ही पूरा एक वर्ष न बीता हो। अगर आपने उन्हें किसी और पैसे से खरीदा है जो दुकान का नहीं है, तो आपको उस समय से एक साल गिनना चाहिए जब आपने वह धन अर्जित किया था जिससे आपने उन्हें खरीदा था। इसलिए उनका वर्ष उस धन के वर्ष के आधार पर पूरा होगा।

हम अल्लाह से प्रार्थना करते हैं कि वह आपको बेहतर बदला प्रदान करे और आपको एक अच्छी आजीविका प्रदान करे।

और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।

संदर्भ

स्रोत

साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर