गुरुवार 18 रमज़ान 1445 - 28 मार्च 2024
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क्या वह ऐसे व्यक्ति के पीछे नमाज़ पढ़ सकता है जो यह नहीं मानता कि मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम नबियों के समापक हैंॽ

प्रश्न

मैंने कुछ मुसलमानों के साथ यहाँ अमेरिका में ‘खातमुन-नबिय्यीन’ (नबियों के समापक या नबियों की मुहर) के बारे में कई चर्चाओं में हिस्सा लिया। मुझे आशा है कि आप निम्नलिखित बातों को स्पष्ट करेंगे :

- अरबी भाषा में “ख़ातम” का क्या अर्थ होता है ; "अंतिम" या "मुहर"ॽ

- क़ुरआन और सुन्नत से इसके प्रमाण।

- क्या ईसा अलैहिस्सलाम का अवतरण "खातमुन-नबिय्यीन" के विचार का खंडन करता है या नहींॽ

- उस व्यक्ति का क्या हुक्म है जो यह नहीं मानता कि मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ‘खातमुन-नबिय्यीन’ हैं और आपके बाद कोई नबी नहीं है; क्या वह काफिर है या नहींॽ यदि हमारे क्षेत्र में कोई मस्जिद न हो, तो क्या उसके पीछे नमाज़ पढ़ना जायज़ हैॽ

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम अंतिम संदेष्टा हैं। आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “मुझे अन्य नबियों पर पाँच चीज़ों के द्वारा प्रतिष्ठा (वरीयता) प्रदान की गई है : मुझे शफाअत दी गई है, और मुझपर नबियों की श्रृंखला संपन्न कर दी गई है ...” इस हदीस में आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने बताया है कि आप अंतिम नबी हैं। तथा अल्लाह तआला ने फरमाया :

 وَلَٰكِن رَّسُولَ اللَّهِ وَخَاتَمَ النَّبِيِّينَ سورة الأحزاب : 40 

“बल्कि वह अल्लाह के रसूल और नबियों के समापक (या नबियों की मुहर) हैं।” (सूरतुल-अह़ज़ाब : 40)

इसे  وخاتَم النبيين  – ‘ता’ के ज़बर के साथ - “व ख़ातमन-नबिय्यीन” पढ़ा गया है, और एक दूसरी क़िराअत (सस्वर पाठ) के अनुसार  وخاتِم النبيين  – ‘ता’ के ज़ेर के साथ – “व ख़ातिमन-नबिय्यीन” भी पढ़ा गया है, जिसका अर्थ यह है कि : आप उनमें से अंतिम व आख़िरी हैं।

तथा स्वयं नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फरमान है : “मैं ख़ातमुन-नबिय्यीन (नबियों की अंतिम कड़ी) हूँ, मेरे बाद कोई नबी नहीं है।” अर्थात् आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर अल्लाह के नबियों की श्रृंखला समाप्त कर दी गई। इसलिए आपके बाद कोई नबी या रसूल नहीं है।

इसमें कोई संदेह नहीं कि जब ईसा अलैहिस्सलाम उतरेंगे, तो वह मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की शरीयत के अधीन होंगे तथा वह उसी के अनुसार फैसला करेंगे। इसलिए वह अल्लाह के रसूल के बाद नबी नहीं माने जाएँगे, बल्कि वह आपकी उम्मत के एक व्यक्ति होंगे और आपकी शरीयत के अनुसार फ़ैसला करेंगे।

जो कोई यह दावा करता है कि एक नया नबी आएगा, वह काफ़िर है। या जो यह दावा करता है कि मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के बाद किसी अन्य नबी का आना संभव है। इसलिए वह यह समझता है कि यह शरीयत अंतिम शरीयत नहीं है। ऐसा व्यक्ति काफ़िर है और उसके पीछे नमाज़ नहीं पढ़ी जाएगी, यदि यह ज्ञात हो जाए कि यह उसका अक़ीदा (विश्वास) है। यदि यह सिद्ध हो जाता है, तो आपको उस नमाज़ को दोहराना होगा (जो आपने उसके पीछे पढ़ी है), भले ही वह अकेले ही क्यों न हो।

स्रोत: आदरणीय शैख अब्दुल्लाह बिन जिब्रीन रहिमहुल्लाह