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98009/ज़िल्हिज्जा/1444 , 27/जून/2023

बैंक के माध्यम से क़िस्तों में घर खरीदना

प्रश्न: 110006

मेरे पिता की मृत्यु हो गई और मैं अपने भाइयों के प्रति ज़िम्मेदार हो गई। हम एक घर किराए पर लिए हुए हैं, लेकिन उसके मालिक ने उन्हें सड़क पर बाहर निकालने का फैसला किया है क्योंकि वह अपना घर चाहता है। अतः मैंने उनके लिए एक ऐसे बैंक से क़िस्तों में घर खरीदने का फैसला किया है जो इस्लामिक नहीं है। दरअसल, हमारे देश में कोई इस्लामिक बैंक नहीं है। क्या यह हराम है और इसे सूद माना जाएगाॽ

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा एवं गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है, तथा दुरूद व सलाम की वर्षा हो अल्लाह के रसूल पर। इसके बाद :

पहली बात :

बैंक के माध्यम से कोई वस्तु खरीदने के दो रूप हैं :

पहला : यह कि बैंक सिर्फ एक फाइनेंसर (वित्तपोषक) है, ग्राहक को वस्तु की कीमत उधार देता है या उसकी ओर से भुगतान करता है, ताकि बदले में वह राशि और कुछ अतिरिक्त (राशि) प्राप्त करे। जैसे कि वस्तु की कीमत एक हजार है, और वह इसे क़िस्तों में एक हजार दो सौ वापस लेता है। यह एक हराम तरीक़ा है; क्योंकि यह वास्तव में सूद सहित कर्ज (ब्याज सहित ऋण) है, इसलिए यह सूद है।

दूसरा : यह कि बैंक वस्तु को वास्तविक रूप में खरीदता है, फिर ग्राहक को अधिक आस्थगित मूल्य पर बेचता है।

इसमें कोई आपत्ति की बात नहीं है, और इसे खरीद का आदेश देने वाले को ‘मुराबहा बिक्री’ कहा जाता है। लेकिन बैंक के लिए ग्राहक के साथ बिक्री का अनुबंध करना तब तक जायज़ नहीं है जब तक कि वह वस्तु खरीद नहीं लेता है, क्योंकि इनसान को ऐसी चीज़ बेचने से मना किया गया है जो उसके पास नहीं है, जैसाकि हदीस में प्रमाणित है।

परंतु वह (बैंक) ग्राहक से उस वस्तु का मालिक बनते ही उसे खरीदने का वादा ले सकता है, लेकिन यह वादा बाध्यकारी नहीं है।

इसके आधार पर; अगर बैंक घर खरीदता है फिर आपको क़िस्तों में बेचता है, तो इसमें कोई हर्ज नहीं है। लेकिन अगर वह उसे नहीं खरीदता है, बल्कि वह आपको उसकी कीमत देता है या आपकी तरफ से उसका भुगतान करता है, इस शर्त पर कि वह उसे एक अतिरिक्त राशि के साथ क़िस्तों में वापस लेगा। तो यह रिबा (सूद) है, और सूद के बारे में जो कड़ी चेतावनी आई है वह छिपी नहीं है।

दूसरी बात :

आपने अपने भाइयों को घर की आवश्यकता के बारे में जो उल्लेख किया है, उसे सूद की अनुमति देने वाली ज़रूरत (आवश्यकता) नहीं माना जाता है, क्योंकि किराए पर लेने से उस नुकसान को दूर करना संभव है।

और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।  

संदर्भ

स्रोत

साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर

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