गुरुवार 18 रमज़ान 1445 - 28 मार्च 2024
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क्या उसे मिश्रित विश्वविद्यालय में पढ़ना चाहिए या बिना महरम के शहर में रहकर एक गैर-मिश्रित विश्वविद्यालय में पढ़ना चाहिएॽ

प्रश्न

मेरे पास एक अरब मुस्लिम देश में किसी महरम के बिना रहकर एक गैर-मिश्रित विश्वविद्यालय में अध्ययन करने का विकल्प है (वास्तव में, मेरे रज़ाई चाचा उसी देश, शहर और महल्ले में हैं, लेकिन वह हमारे साथ संबंध नहीं रखता हैं), या अपने परिवार के साथ रहते हुए एक अरब मुस्लिम देश में (जो कम धार्मिक है) एक सह-शिक्षा आधारित विश्वविद्यालय में अध्ययन करने का विकल्प है, जिसमें बुराइयाँ और घृणित चीजें हैं। मुझे इन दोनों में से कौन-सा विकल्प चुनना चाहिएॽ दुर्भाग्य से, मैं मिश्रित विश्वविद्यालय में जाए बिना अपने परिवार के साथ नहीं रह सकती, क्योंकि इस देश के सभी विश्वविद्यालय मिश्रित (सह-शिक्षा आधारित) हैं। तथा मेरे पिता इस बात को पूरी तरह से और क़तई तौर पर अस्वीकार करते हैं कि मैं पढ़ाई छोड़कर घर पर बैठी रहूँ। क्योंकि दुर्भाग्य से मेरे माता-पिता धार्मिक प्रतिबद्धता वाले नहीं हैं। मुझे क्या करना चाहिए? अल्लाह आपको अच्छा बदला दे।

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

पहला :

कार्यस्थलों और शिक्षण के स्थानों (स्कूलों, कालिजों) में पुरूष-स्त्री का मिश्रण हराम है, क्योंकि यह बुराइयों और हराम चीज़ों का कारण बनता है। तथा प्रश्न संख्या : (१२०० ) और (१०३०४४ ) का उत्तर देखें।

लड़की के अभिभावक के लिए जायज़ नहीं है कि वह उससे इस सह-शिक्षा के लिए आहवान करे। क्योंकि यह लापरवाही और अमानत को नष्ट करना है। बल्कि अनिवार्य यह है कि उसे हराम करने से रोके, उसे पाप से दूर रखे, उसपर ग़ैरत महसूस करे और उसके सतीत्व की रक्षा करे।

दूसरा :

महिला के लिए महरम के बिना यात्रा करना जायज़ नहीं है। क्योंकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फरमान है :

“महिला बिना महरम के यात्रा न करे।” इसे बुखारी (हदीस संख्या : 1862) ने रिवायत किया है।

तथा मुस्लिम (हदीस संख्या : 1339) ने अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत किया कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया :

“कोई भी महिला जो अल्लाह और अंतिम दिन पर ईमान रखती हो उसके लिए जायज़ नहीं कि वह महरम के बिना एक दिन की यात्रा करे।”

जहाँ तक उसके महरम के बिना शहर में रहने की बात है, तो यह मना नहीं है यदि वह अपने आपको सुरक्षित महसूस करती है और वह जाते और आते समय इस बात को याद रखती है कि अल्लाह उसे देख रहा है, तथा वह पुरुषों के साथ घुलने-मिलने से बचती है।

इसके आधार पर; यदि कोई महरम आपके साथ यात्रा करता है और आपको उस शहर तक पहुँचा आता है जहाँ आप अध्ययन करने जा रही हैं, और आप वहाँ एक सुरक्षित स्थान पर रहती हैं और विश्वविद्यालय के लिए जाते समय शरई नियमों (इस्लामी दिशानिर्देशों) का पालन करती हैं, तो आपपर कोई हर्ज की बात नहीं है।

यदि मान लिया जाए कि वहाँ जाने और वापस होने में महरम आपके साथ नहीं रहता है, और आपके घर वाले उपर्युक्त दोनों विकल्पों में से किसी एक में पढ़ाई करने पर अटल हैं, और ऐसा करना अपिरहार्य है, तो ऐसी परिस्थिति में मूल नियम यह है कि : दो बुराइयों में से बड़ी बुराई को दूर करने के लिए कमतर बुराई को चुना जाएगा।

अतः आपको चाहिए कि दोनों मामलों में से कम बुराई वाले का चयन करें। इसके लिए आपको दोनों विकल्पों के बारे में सोच-विचार और ग़ौर करने की ज़रूरत है। हो सकता है कि आपके यात्रा करने में कम बुराई हो, क्योंकि इस स्थिति में आप मिश्रण से बची रहेंगी। लेकिन इसमें यह बुराई है कि आप अपने परिवार से दूर एक अजनबी देश में अकेले रहेंगी। इसलिए यदि आप अपने रज़ाई (स्तनपान के माध्यम से) चाचा के साथ संपर्क में रह सकें और वह आपका ख़याल रखा करे और आपकी मदद करता रहे ..., तो यह बेहतर है।

आपको चाहिए कि अपने ईमान को बढ़ाने और अल्लाह तआला के साथ अपने संबंध को मज़बूत करने का प्रयास करें, तथा नेक संगत तलाश करें और खुद को अच्छे कामों, जैसे कि क़ुरआन करीम को याद करने और नियमित रूप से नफ़्ल नमाज़ पढ़ने एवं रोज़ा रखने, में व्यस्त रखें।

हम अल्लाह तआला से आपके लिए सामर्थ्य और सुमार्ग का प्रश्न करते हैं।

और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।

स्रोत: साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर