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उसकी पत्नी रोज़ा नहीं रखना चाहती है

14-06-2016

प्रश्न 38282

मेरा भाई एक धर्मनिष्ठ आदमी है, लेकिन उसकी पत्नी धर्मनिष्ठ नहीं है। वह न तो रोज़ा रखती है, और न ही वास्तव में रमजा़न के बारे में कुछ जानती है। हमारे रिश्तेदारों में से कोई भी नहीं है जो उसके निकट में रहता हो, और उसके लिए यह कठिन है कि वह अपनी पत्नी पर प्रभाव डाल सके कि वह बदल जाए। वह उसके लिए अल्लाह तआला से प्रार्थना करता है कि उस को स्त्य मार्ग दर्शाए, और उसे उसकी हालत पर धैर्य करने का सामर्थ्य दे। परंतु ऐसा लगता है कि वह अपने अंदर कोई परिवर्तन लाना नहीं चाहती है, या वह मुसलमानों की तरह व्यवहार करना नहीं चाहती है।
क्या आप मुझे बता सकते हैं कि मेरा भाई उसके साथ किस प्रकार से व्यवहार करे कि वह इसलाम के अधिक क़रीब आ जाए और दीनदार (धर्मनिष्ठ) बन जाए?

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

उत्तर :

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।

आपके भाई के लिए अनिवार्य है कि वह अपनी पत्नी को सत्य मार्ग की ओर लाने के लिए सभी उपायों और साधनों के द्वारा अत्यंत प्रयास करे। चुनाँचे वह उसके साथ प्रलोभन और चेतावनी के तरीक़े का इस्तेमाल करे, और उसको अल्लाह तआला और उसके हुक़ूक़ याद दिलाए, उसको उपदेश और नसीहत करे, और वह जिस भयानक और खतरनाक स्थिति में है, उससे उसको सूचित करे। फिर उसे अच्छी संगत से जोड़ने का प्रयास करे, भले ही वह उसके रिश्तेदारों में से न हो। जैसे कि वह अपने दोस्तों की नेक और सदाचारी पत्नियों से उसका संपर्क करा दे, तथा उसके लिए लाभदायक कैसिटें और उपयोगी किताबें लेकर आए। अगर वह उसकी बातों को मान ले और आज्ञाकारी बन जाए, तो यही लक्ष्य और उददेश्य है, अन्यथा उसके साथ उपेक्षा और अलगाव का ढंग अपनाने में कोई रूकावट नहीं है यदि वह इस तरह की स्थिति में लाभदायक हो। क्योंकि जब पति के हक़ के लिए पत्नी से संबन्धविच्छेद करना धर्मसंगत है, तो फिर अल्लाह तआला के अधिकार के लिए धर्मसंगत होना अधिक पात्र है।

तथा अबू उमामा बाहिली रज़ियल्लाहु अन्हु से साबित है कि उन्हों ने कहा कि : मैं ने अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को यह फरमाते हुए सुना किः ‘‘इस बीच कि मैं सोया हुआ था मेरे पास दो आदमी आए। वे दोनों मेरा बाज़ू पकड़ कर एक दुर्लभ चढ़ाई वाले पहाड़ पर ले गए। उन दोनों ने कहा : चढ़िए। मैंने कहा : मैं इसकी ताक़त नहीं रखता। उन्हों ने कहा : हम आपके लिए उसे आसान कर देंगे। तो मैं ऊपर चढ़ गया यहाँ तक कि जब मैं पहाड़ की चोटी पर पहुँचा तो वहाँ ज़ोर की आवाज़ें सुनाई दे रही थीं। मैं ने कहा : ये आवाज़ें कैसी हैं? उन्हों ने कहा : यह नरक वालों के चीखने-चिल्लाने की आवाज़ है। फिर वे दोनों मुझे लेकर आगे बढ़े तो मैं ने ऐसे लोगों को देखा जिन्हें उनके कूंचों से लटकाया गया था, उनके जबड़े (बाछें) चीरे हुए थे, जिनसे खून बह रहे थे। मैं ने कहा : ये कौन लोग हैं? उन्हों ने कहा : यह वे लोग हैं जो रोज़ा खोलने के समय से पहले ही रोज़ा तोड़ देते थे।’’ इसे बैहक़ी (हदीस संख्या :7796) ने रिवायत किया है और अल्बानी ने सहीह कहा है।

जब यह भयानक सज़ा समय से पहले इफ्तार करने वालों की है, तो उन लोगों का क्या हाल हो गा, जों बिलकुल ही रोज़ा नहीं रखते हैं!

यदि वह पत्नी रोज़ा न रखने के साथ-साथ, बिल्कुल नमाज़ भी नहीं पढ़ती है, तो वह इसके कारण विद्वानों के राजेह कथन के अनुसार इस्लाम धर्म से खारिज़ हो चुकी है। इस आधार पर, आप के भाई के लिए उसको अपने विवाह (पत्नीत्व) में रखना जायज़ नहीं है।

और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।

तथा प्रश्न संख्या: (12828) देखें।

रोज़े की अनिवार्यता और उसकी फज़ीलत रमज़ान और महिलायें भलाई का आदेश करने और बुराई से रोकने के नियम
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